नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की एक नयी रिपोर्ट में कहा गया है कि धरती की सुरक्षात्मक ओजोन
परत एयरोसॉल स्प्रे और शीतलकों (कूलन्ट) से हुए नुकसान से अंतत: उबर रही
है. ओजोन परत 1970 के दशक के बाद से महीन होती गई थी. वैज्ञानिकों ने इस
खतरे के बारे में सूचित किया और ओजोन को कमजोर करने वाले रसायनों का धीरे
धीरे पूरी दुनिया में इस्तेमाल खत्म किया गया.
इक्वाडोर के क्विटो में सोमवार को हुए एक सम्मेलन में जारी किए गए वैज्ञानिक आकलन के मुताबिक, इसका परिणाम यह होगा कि 2030 तक ऊत्तरी गोलार्ध के ऊपर ओजोन की ऊपरी परत पूरी तरह दुरुस्त हो जाएगी और अंटार्टिक ओजोन छिद्र 2060 तक गायब हो जाना चाहिए. वहीं दक्षिणी गोलार्ध में यह प्रक्रिया कुछ धीमी है और उसकी ओजोन परत सदी के मध्य तक ठीक हो पाएगी.
नई दिल्ली: बीते कुछ सालों में जैसे-जैसे प्रदूषण बढ़ा है वैसे-वैसे प्यूरीफायर का बाजार भी नई ऊंचाइयों को छू रहा है. बाजार में देसी से लेकर विदेशी ब्रांड के प्यूरीफायर उपलब्ध हैं. शुद्ध हवा देने का दावा करने वालों का ये कारोबार अब 500 करोड़ तक पहुंच गया है. 5,000 से लेकर 1 लाख तक आप जितना पैसा खर्च करेंगे, उतनी ही शुद्ध हवा आपको मिलेगी. ये कीमत है उन तमाम एयर प्यूरिफायर्स की जो शुद्ध हवा देने के नाम पर बाजार में उपलब्ध हैं. बढ़ते प्रदूषण का अहसास हर किसी को है लिहाजा लोग भी अब इन्हें जमकर खरीद रहे हैं. दुकानों के अलावा एयर प्यूरिफायर्स की खऱीद ऑनलाइन भी हो रही है. साल के इन महीनों जब प्रदूषण का स्तर सबसे बुरा होता है इसकी खऱीद सबसे ज्यादा होती है. यूं तो दर्जनों ब्रांड हैं लेकिन कुछ ही ब्रांड के एयर प्यूरीफायर रूम के साइज के हिसाब से आते हैं, इनमे लिविंग रूम, बेड रूम, केबिन और हॉल के एरिया के मुताबिक अलग- अलग मॉडल हैं. छोटे एयर प्यूरीफायर जिनकी कीमत 5 से 15 हज़ार है जो 428 वर्गफुट के लिए हैं. 15 से 35 हज़ार तक के एयर प्यूरीफायर 1027 वर्गफुट के दायरे के लिए हैं. 35 हज़ार से ज्यादा कीमत के एयर प्यूरीफायर उससे बड़े एरिया को कवर करते हैं और कुछ तो बेहद महंगे हैं लेकिन कम एरिया को कवर करते हैं.
इक्वाडोर के क्विटो में सोमवार को हुए एक सम्मेलन में जारी किए गए वैज्ञानिक आकलन के मुताबिक, इसका परिणाम यह होगा कि 2030 तक ऊत्तरी गोलार्ध के ऊपर ओजोन की ऊपरी परत पूरी तरह दुरुस्त हो जाएगी और अंटार्टिक ओजोन छिद्र 2060 तक गायब हो जाना चाहिए. वहीं दक्षिणी गोलार्ध में यह प्रक्रिया कुछ धीमी है और उसकी ओजोन परत सदी के मध्य तक ठीक हो पाएगी.
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नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के प्रमुख पृथ्वी वैज्ञानिक और रिपोर्ट
के सह प्रमुख ने कहा, “यह वाकई में बहुत अच्छी खबर है.” उन्होंने कहा,
“अगर ओजोन को क्षीण बनाने वाले तत्व बढ़ते जाते तो हमें भयावह प्रभाव देखने को मिलते. हमने उसे रोक दिया.” ओजोन पृथ्वी के वायुमंडल की वह परत है
जो हमारे ग्रह को पराबैंगनी प्रकाश (यूवी किरणों) से बचाती है. पराबैंगनी किरणें त्वचा के कैंसर, फसलों को नुकसान और अन्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार होती है. नई दिल्ली: बीते कुछ सालों में जैसे-जैसे प्रदूषण बढ़ा है वैसे-वैसे प्यूरीफायर का बाजार भी नई ऊंचाइयों को छू रहा है. बाजार में देसी से लेकर विदेशी ब्रांड के प्यूरीफायर उपलब्ध हैं. शुद्ध हवा देने का दावा करने वालों का ये कारोबार अब 500 करोड़ तक पहुंच गया है. 5,000 से लेकर 1 लाख तक आप जितना पैसा खर्च करेंगे, उतनी ही शुद्ध हवा आपको मिलेगी. ये कीमत है उन तमाम एयर प्यूरिफायर्स की जो शुद्ध हवा देने के नाम पर बाजार में उपलब्ध हैं. बढ़ते प्रदूषण का अहसास हर किसी को है लिहाजा लोग भी अब इन्हें जमकर खरीद रहे हैं. दुकानों के अलावा एयर प्यूरिफायर्स की खऱीद ऑनलाइन भी हो रही है. साल के इन महीनों जब प्रदूषण का स्तर सबसे बुरा होता है इसकी खऱीद सबसे ज्यादा होती है. यूं तो दर्जनों ब्रांड हैं लेकिन कुछ ही ब्रांड के एयर प्यूरीफायर रूम के साइज के हिसाब से आते हैं, इनमे लिविंग रूम, बेड रूम, केबिन और हॉल के एरिया के मुताबिक अलग- अलग मॉडल हैं. छोटे एयर प्यूरीफायर जिनकी कीमत 5 से 15 हज़ार है जो 428 वर्गफुट के लिए हैं. 15 से 35 हज़ार तक के एयर प्यूरीफायर 1027 वर्गफुट के दायरे के लिए हैं. 35 हज़ार से ज्यादा कीमत के एयर प्यूरीफायर उससे बड़े एरिया को कवर करते हैं और कुछ तो बेहद महंगे हैं लेकिन कम एरिया को कवर करते हैं.
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कई एयर प्यूरीफायर में पीएम 2.5 को मापने के डिस्प्ले भी हैं और लाइट
इंडिकेटर भी जिससे आपको कमरे में प्रदूषण का स्तर पता होता है और इसमें
इसमें हो रहे सुधार को भी आप देख सकते है. दावा है कि ये हानिकारक
बैक्टीरिया, किचन और सिगरेट के धुएं से भी बचाते हैं और ओजोन फ्री हैं,ये
काम ज्यादातर एयर प्यूरीफायर में लगे कुछ फिल्टरों के जरिये होता है.
एक अध्ययन के मुताबिक, पिछले 3-4 सालों में एयर प्यूरीफायर का कारोबार 500
करोड़ तक पहुंच गया है. इससे साफ है कि शुद्ध और ताजी हवा के नाम पर लोगों
को पैसा खर्च करना तो मंजूर है, लेकिन एहतियात के वो कदम उठाना मंजूर नहीं
जो प्रदूषण में कमी ला सकें.