Wednesday, December 26, 2018

15 दिन से मेघालय की कोयला खदान में फंसे हैं 15 मजदूर, क्या सो रही सरकार?

मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में एक अवैध कोयला खदान ढह जाने से पिछले करीब 15 दिनों से 15 मजदूर फंसे हैं, इसको लेकर राजनीति शुरू हो गई है. 13 दिसंबर की सुबह इस खदान में अचानक पानी बढ़ जाने की वजह से खनन कार्य में लगे मजदूर बाहर नहीं निकल पाए. एनडीआरएफ की टीम लगातार इन मजदूरों के रेस्क्यू में जुटी रही, लेकिन सफल नहीं हो पाई.
बचाव दल का मानना है कि खनन के लिए बनाई गई संकरी सुरंग में पानी भर जाने से फंसे मजदूरों तक पहुंचा नहीं जा सकता. इस वक्त खदान में जितना पानी है उसे निकालने के लिए 100 हॉर्स पावर के 10 पम्प की जरूरत है. लेकिन बचाव दल के पास 25 हॉर्स पावर के सिर्फ दो पम्प मौजूद हैं.
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक बचाव कार्य के लिए हालात बेहत मुश्किल हैं. क्योंकि खदान में पानी भर जाने से न मजदूर निकल पा रहे हैं और न ही बचाव दल इन तक पहुंच पा रहा है. स्थानीय लोगों के मुताबिक खदान के पास की नदी का लगभग पूरा पानी खदान में घुस गया है. पिछले दो हफ्तों से चल रहे इस बचाव कार्य में अब तक खदान में से 20 लाख लीटर पानी निकाले जाने की संभावना है. लेकिन खदान का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है. सरकार हाई पावर पम्प की व्यवस्था करने में जुटी है. लेकिन अभी तक व्यवस्था हो नहीं पाई है.
वहीं, इस संकट की घड़ी में राजनीति भी शुरू हो गई है. सबसे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा, ‘पानी से भरी कोयले की खदान में पिछले दो हफ्ते से 15 मजदूर सांस लेने के लिए लड़ कर रहे हैं. इस बीच, प्रधानमंत्री बोगिबील पुल पर कैमरों के सामने पोज देते हुए अकड़कर चलते हैं. उनकी सरकार ने बचाव के लिए हाई प्रेशर वाले पंपों की व्यवस्था करने से इनकार कर दिया, प्रधानमंत्री जी, कृपया मजदूरों को बचाइए.’
वहीं, राहुल गांधी के जवाब में केंद्रीय मंत्री किरन रिजीजू ने ट्वीट कर लिखा, 'राहुल गांधी जी कृपया इस त्रासदी पर राजनीति मत करिए. हम हर संभव तरीके से राज्य सरकार की मदद कर रहे हैं. लेकिन यह असुरक्षित अवैध खनन कार्य पिछली कांग्रेस सरकारों की लापरवाही की वजह से हो रहा था.'
कांग्रेस के नेता एच. एम. शांगलियांग का कहना है कि जब थाईलैंड की सरकार आपका के वक्त रेस्क्यू ऑपरेशन में इंटरनेशनल टीमों की मदद ले सकती है तो यह सरकार ऐसा क्यों नहीं कर रही है. क्या वो खदान मजदूर को बचाने के लिए गंभीर नहीं है.
गौरतलब है 24 दिसंबर को रेस्क्यू का कार्य रोक दिया गया था क्योंकि जिन दो पम्पों से पानी निकाला जा रहा था वह जल स्तर कम करने में नाकाम साबित हुए. अब अधिकारियों को पानी निकालने के लिए हाई पावर पम्प का इंतजार है. बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस के 100 से ज्यादा जवान 14 दिसंबर से खदान में फंसे मजदूरों को निकालने का प्रयास कर रहे हैं. 13 दिसंबर को इस खदान में 20 खनिक 370 फीट गहरे खदान में घुसे थे, जिसमें से 5 मजदूर पानी भरने से पहले बाहर निकल आए. जो 15 मजदूर अभी भी अंदर फंसे हैं उनमें से 7 मेघालय के पश्चिम गारो हिल्स जिले के हैं, जबकि 5 असम और 3 पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के लुमछरी गांव के बताए जा रहे हैं.
बता दें कि साल 2014 में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यानी एनजीटी ने इस तरह की खदानों को अवैज्ञानिक और असुरक्षित मानते हुए प्रतिबंधित कर दिया था. हाल ही में अवैध खनन माफियाओं ने मेघालय के सामाजिक कार्यकर्ता अग्नेस खारशिंग और उनके साथियों पर हमला कर दिया था जब वे पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में संचालित अवैध खनन की तस्वीरें और वीडियो लेने गए थे.
वहीं, खदान में फंसे मजदूरों के परिवार वालों ने मेघालय सरकार से गुहार लगाई है कि लापता लोगों का जल्द पता लगाया जाए. खदान में फंसे एक मजदूर से रिश्तेदार का कहना है कि मागुरमरी इलाके के 5 लोग कोयला खदान में फंसे हैं. हम इन 5 लोगों का शव चाहते हैं. हमारी सरकार से यह भी मांग है कि वे पीड़ित परिवारों की मदद करें. हम नहीं जानते क्या हुआ है. यह सिर्फ सरकार को ही पता है.